इतना ही एह्सास बहुत है,
वो अब मेरे पास बहुत है ।
उसके आगे सच्चे मन से,
दो पल ही अरदास बहुत है ।
क़िस्मत न हो सीता जैसी,
महल हैं कम, बनवास बहुत है ।
जो हैं पानीदार यहाँ पर,
उनकी देखो प्यास बहुत है ।
ये सुनना गाली लगता है,
’तू अफ़सर का खा़स बहुत है’ ।
अन्तिम इच्छा पूछ रहे हो,
जब जीने की आस बहुत है ।
जो मज़हब सबको जीने दे,
उस पर ही विश्वास बहुत है ।
कुछ सराहते ग़ज़ल ’शरद’ की,
कुछ कहते बकबास बहुत है ।
शरद के स्वर में भी सुनें
Jul 19, 2008
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1 comment:
कुछ सराहते ग़ज़ल ’शरद’ की,
कुछ कहते बकबास बहुत है ।
jo kahte bakbaas bahut hai
unke bheje mein ghaas bahut hai
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