हमारी मिन्नतों पर वो अगर कुछ ध्यान न देता,
ज़माना नाम उसको फिर कभी भगवान न देता ।
मुझे हर हाल में चाहत तुम्हारी ज़िन्दा रखनी थी,
तुम्हारे इक इशारे पर मैं वरना जान न देता ।
न होती उसको मेरे चैन से सोने की जो चिन्ता,
मुझे आराम करने के लिए शमशान न देता ।
हुकूमत न रही उसकी, खबर जाहिर न की उसने,
यही डर था कि फिर कोई उसे सम्मान न देता ।
सज़ा उसकी सुनी तो मैं भी अन्दर तक तड़प उट्ठा,
यही अब दिल में आता है कि मैं वो बयान न देता ।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे सिर्फ़ अब मेले ?
अगर वो जानता तो देश पर बलिदान न देता ।
Jul 19, 2008
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