:बात दलदल की करे जो वो कमल क्या समझे ?
प्यार जिसने न किया ताजमहल क्या समझे ?
यूं तो जीने को सभी जीते है इस दुनिया में,
दर्द जिसने न सहा हो वो ग़ज़ल क्या समझे ?
मेरी ग़ज़लों, गीतों और कविताओं का संग्रह
:बात दलदल की करे जो वो कमल क्या समझे ?
प्यार जिसने न किया ताजमहल क्या समझे ?
यूं तो जीने को सभी जीते है इस दुनिया में,
दर्द जिसने न सहा हो वो ग़ज़ल क्या समझे ?
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