Oct 29, 2010

ग़ज़ल : तूफ़ां ने खुशियों का मन्ज़र छीन लिया

तूफ़ां ने खुशियों का मंज़र छीन लिया
 उसने मुझसे मेरा ही घर छीन लिया ।

यह ताकत की बात नहीं थी. हिम्मत थी,
दुर्बल ने क़ातिल से खंजर छीन लिया ।

साथ दिया जिसने रोगी का सालों तक,
मौत ने  उसका वो ही बिस्तर छीन लिया ।

घेराबन्दी की बादल सेना ने और्,
सूरज से किरणों का गट्ठर छीन लिया ।

मुझको सत्ता में पहुंचाकर लोगों ने,
खुद से ही मिलने का अवसर छीन लिया ।

तिकडमबाज़ी ने सम्मान दिलाया पर
मुझसे मेरे फ़न का मन्तर छीन लिया ।


भूख, गरीबी, लाचारी के पंजों ने,
कुछ बच्चों का बचपन अक्सर छीन लिया ।

Sep 17, 2010

खुश होता है दिल ...

जब वतन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ,
जब अमन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।

देश पर गन्दी नज़र डाले सदा उस शख्स के,
जब दमन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।

द्वैष, नफ़रत की भड़कती जा रही इस आग के,
जब शमन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।

कान फ़ोढू शोर वाले गीत के आगे कभी,
जब भजन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।

फ़ूल खूशबू बाँटते निस्वार्थ हो ऐसे किसी
जब चमन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।

लिख के मुंशी जी गए जो सब कथाएं श्रेष्ठ हैं ,
जब कफ़न की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।


यूं तो बातें हैं ’शरद’ दुल्हन के जीवन में कईं,
जब सजन की बात चलती है तो खुश होता है दिल ।