Jul 19, 2008

ग़ज़ल : पत्थ्रर सा जो दिल होता है

पत्थर सा जो दिल होता है,

वो फिर किस काबिल होता है ।

तुझे भूलने की कोशिश ही,


काम बड़ा मुश्किल होता है ।

पहले तिल तिल खुद मरता है ,

तब कोई का़तिल होता है ।

कागज़ पर मैं दिल रख देता,

जि़क्र सरे महफ़िल होता है ।

क़हर तो लहरें ही ढ़ातीं हैं,

रुस्वा हर साहिल होता है ।

जब तक आए नहीं फ़ैसला,

वक्त बड़ा बोझिल होता है ।

क़िस्मत देखो आज ’शरद’ भी,

कवियों में शामिल होता है ।

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