फ़ना जब भी हमारे राज़ होंगे,
तो जीने के अलग अन्दाज़ होंगे ।
खफ़ा उनसे मैं होना चाहता हूँ,
मग़र डर है कि वो नाराज़ होंगे ।
ज़रा पन्नों को हौले से पलटना,
वहाँ नाज़ुक- से कुछ अल्फ़ाज़ होंगे ।
बहुत महफ़ूज़ है पिंजड़े में चिड़िया,
गगन में तो हज़ारों बाज़ होंगे ।
अभी तो हैं तमंचे उनके हाथों,
वो दिन कब आएगा जब साज़ होंगे ।
’शरद’ के राज़ ही जो खोलता हो ,
तो फ़िर उसके वो क्यों हमराज़ होंगे ।
शरद के स्वर में भी सुनें
तो जीने के अलग अन्दाज़ होंगे ।
खफ़ा उनसे मैं होना चाहता हूँ,
मग़र डर है कि वो नाराज़ होंगे ।
ज़रा पन्नों को हौले से पलटना,
वहाँ नाज़ुक- से कुछ अल्फ़ाज़ होंगे ।
बहुत महफ़ूज़ है पिंजड़े में चिड़िया,
गगन में तो हज़ारों बाज़ होंगे ।
अभी तो हैं तमंचे उनके हाथों,
वो दिन कब आएगा जब साज़ होंगे ।
’शरद’ के राज़ ही जो खोलता हो ,
तो फ़िर उसके वो क्यों हमराज़ होंगे ।
शरद के स्वर में भी सुनें
13 comments:
बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आप की ग़ज़ल देख कर खुशी हुई।
खफ़ा उनसे मैं होना चाहता हूँ,
मग़र डर है कि वो नाराज़ होंगे ।
यह शेर बहुत पसंद आया।
कमेंट्स पर से वर्ड वेरीफिकेशन हटाएँ।
ज़रा पन्नों को हौले से पलटना,
वहाँ नाज़ुक भी कुछ अल्फ़ाज़ होंगे ।
बहुत महफ़ूज़ है पिंजड़े में चिड़िया,
गगन में तो शिकारी बाज़ होंगे ।
वो दिन कब आएगा हाथों में उनके,
तमंचों की जगह पर साज़ होंगे
बहुत अच्छा लिखा है।
AAJ TALAK AAPKE BLOG SE ACHHUTA KAISE RAHA SAMAJH NAHI AARAHA HAI... YE PAAP KAISE KAR DI MAINE... BAHOT HI KHUBSURAT AUR UMDA SHE'R KAHE HAI AAPNE.. WAAH MAZA AAGAYA.. AAPKE BLOG PE PAHALI DAFA AAYA TO SAHI MAGAR TSKIN SI MILI... MERE BLOG PE KHASA SWAGAT HAI AAPKA KUCH GAZAL KAHANE AUR SIKHNE K RASTE PE HUN AAPKA PYAR CHAHUNGA...
ARSH
बहुत महफ़ूज़ है पिंजड़े में चिड़िया,
गगन में तो शिकारी बाज़ होंगे ।
वो दिन कब आएगा हाथों में उनके,
तमंचों की जगह पर साज़ होंगे ।
सरल शब्दों में बहुत गहरी बात ... शायद इसी विधा का नाम शायरी है....
वाह !! वाह !!
क्या बात है शरद जी, मैं तो आपके शेरों पर बस फ़िदा हो गयी, एक एक मिसरा बस कमाल का है, मैं बता नहीं सकती कितने खूबसूरत शेर हैं, 'बधाई' जैसा छोटा शब्द आपके लिए ठीक नहीं है, कुछ और ही सोचना पड़ेगा, बस इतना ही कहूँगी कि दिल बहुत बहुत खुश हो गया
ब्लॉगवाणी पर आपकी एक टिप्पणी देखकर आपके ब्लॉग पर पहुंचा सर जी...
एक साथ आपकी इतनी रचनाओं से मैं तो पहली बार बावस्ता हुआ हूं...
इनसे गुजर रहा हूं...
वाह वाह शरद जी,
क्या बात है, सभी शेर एक से बढ़ कर एक हैं, बस यूँ समझिये नगीने हैं..
मज़ा आ गया पढ़ कर , वैसे मैं पहले भी पढ़ चुकी हूँ इनको..
अब मेरी हालत बता दूँ...
आपकी तरह भला कैसे करुँगी शायरी
दीमाग में है सिफलिस, हाथों में खाज है
शरद जी नमस्कार,
आपके ब्लॉग पे आज यूँ ही गलती से पहुँच गया मगर साहब गलत न पहुंचा आपकी कुछ एक गज़लें पढी वाह क्या बात है क्या लिखते है आप कमाल की लेखनी है आपकी इस ग़ज़ल के ये शे'र ..
ज़रा पन्नों को हौले से पलटना,
वहाँ नाज़ुक भी कुछ अल्फ़ाज़ होंगे ।
क्या खूब परवरिश की है आपने इस ग़ज़ल की तभी इतने खुबसूरत अश'आर निकले हैं... बहोत बहोत बधाई अब तो आपके यहाँ आना जाना लगा ही रहेगा...
अर्श
वाह शरद जी, बडी मुश्किल से आपके ब्लोग पर आ पहुंचे है आज.
आपका गाना स्वप्न जी की पोस्ट पर सुना और मन खुश हो गया. वाकई में आपकी आवाज़ में तरलता है, जो सुरों के मिठास से गीत को अत्यंत श्रवणीय बना देती है.
कमाल है कि आपकी पोस्ट पर आपका गाया एक भी गीत नहीं?
अगर संभव हो तो अपना एक गीत मुझे भी भेज दें , अपने पोस्ट के लिये.
shaandaar gazal hai. kuchh sher to waakaee kaabile-taareef hain :
खफ़ा उनसे मैं होना चाहता हूँ,
मग़र डर है कि वो नाराज़ होंगे ।
- bahut hee naajuk khayaal hai. khoobsoorat hai. badhaaee!
ज़रा पन्नों को हौले से पलटना,
वहाँ नाज़ुक भी कुछ अल्फ़ाज़ होंगे ।
’शरद’ के राज़ ही जिसने हैं खोले,
भला किसके वो अब हमराज़ होंगे ।
shaandaar!
shaandaar gazal hai. kuchh sher to waakaee kaabile-taareef hain :
खफ़ा उनसे मैं होना चाहता हूँ,
मग़र डर है कि वो नाराज़ होंगे ।
- bahut hee naajuk khayaal hai. khoobsoorat hai. badhaaee!
ज़रा पन्नों को हौले से पलटना,
वहाँ नाज़ुक भी कुछ अल्फ़ाज़ होंगे ।
’शरद’ के राज़ ही जिसने हैं खोले,
भला किसके वो अब हमराज़ होंगे ।
shaandaar!
बहुत महफ़ूज़ है पिंजड़े में चिड़िया,
गगन में तो शिकारी बाज़ होंगे ।
Sir, I likes these lines the best of all...the true picture of today's world!
बहुत महफ़ूज़ है पिंजड़े में चिड़िया,
गगन में तो शिकारी बाज़ होंगे ।
Sir, I like these lines the best of all...the true picture of today's world!
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