कभी जागीर बदलेगी, कभी सरकार बदलेगी ।
मग़र तक़दीर तो अपनी बता कब यार बदलेगी ?
अगर सागर की यूं ही प्यास जो बढती गई दिन दिन,
तो इक दिन देखना नदिया भी अपनी धार बदलेगी ।
हज़ारों साल में जब दीदावर होता है इक पैदा,
ऒ ! नर्गिस अपने रोने की तू कब रफ़्तार बदलेगी ?
सदा कल के मुकाबिल आज को हम कोसते आए,
मगर इस आज की सूरत भी कल हर बार बदलेगी ।
वो सीना चीर के नदिया का फिर आगे को बढ़ जाना,
बुरी आदत सफ़ीनों की भंवर की धार बदलेगी ।
’शरद’ पढ़ लिख गया है पर अभी फ़ाके बिताता है,
ख़बर उसको न थी क़िस्मत , जो हों कलदार बदलेगी ।
मग़र तक़दीर तो अपनी बता कब यार बदलेगी ?
अगर सागर की यूं ही प्यास जो बढती गई दिन दिन,
तो इक दिन देखना नदिया भी अपनी धार बदलेगी ।
हज़ारों साल में जब दीदावर होता है इक पैदा,
ऒ ! नर्गिस अपने रोने की तू कब रफ़्तार बदलेगी ?
सदा कल के मुकाबिल आज को हम कोसते आए,
मगर इस आज की सूरत भी कल हर बार बदलेगी ।
वो सीना चीर के नदिया का फिर आगे को बढ़ जाना,
बुरी आदत सफ़ीनों की भंवर की धार बदलेगी ।
’शरद’ पढ़ लिख गया है पर अभी फ़ाके बिताता है,
ख़बर उसको न थी क़िस्मत , जो हों कलदार बदलेगी ।
4 comments:
रचना के लिए बधाई!
हज़ारों साल में जब दीदावर होता है इक पैदा,
ऒ ! नर्गिस अपने रोने की तू कब रफ़्तार बदलेगी ?
बड़ी रोचक और लीक से हट कर बात कही आपने..बधाई
गजब!! बहुत बेहतरीन!
nice ........nice........nice.....
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