तूफ़ां ने खुशियों का मंज़र छीन लिया
उसने मुझसे मेरा ही घर छीन लिया ।
यह ताकत की बात नहीं थी. हिम्मत थी,
दुर्बल ने क़ातिल से खंजर छीन लिया ।
साथ दिया जिसने रोगी का सालों तक,
मौत ने उसका वो ही बिस्तर छीन लिया ।
घेराबन्दी की बादल सेना ने और्,
सूरज से किरणों का गट्ठर छीन लिया ।
मुझको सत्ता में पहुंचाकर लोगों ने,
खुद से ही मिलने का अवसर छीन लिया ।
तिकडमबाज़ी ने सम्मान दिलाया पर
मुझसे मेरे फ़न का मन्तर छीन लिया ।
भूख, गरीबी, लाचारी के पंजों ने,
कुछ बच्चों का बचपन अक्सर छीन लिया ।
उसने मुझसे मेरा ही घर छीन लिया ।
यह ताकत की बात नहीं थी. हिम्मत थी,
दुर्बल ने क़ातिल से खंजर छीन लिया ।
साथ दिया जिसने रोगी का सालों तक,
मौत ने उसका वो ही बिस्तर छीन लिया ।
घेराबन्दी की बादल सेना ने और्,
सूरज से किरणों का गट्ठर छीन लिया ।
मुझको सत्ता में पहुंचाकर लोगों ने,
खुद से ही मिलने का अवसर छीन लिया ।
तिकडमबाज़ी ने सम्मान दिलाया पर
मुझसे मेरे फ़न का मन्तर छीन लिया ।
भूख, गरीबी, लाचारी के पंजों ने,
कुछ बच्चों का बचपन अक्सर छीन लिया ।
3 comments:
bahut sundar gazal...
achchha hai dear
यह ताकत की बात नहीं थी. हिम्मत थी,
दुर्बल ने क़ातिल से खंजर छीन लिया ।
आप प्रभावित करने में कामयाब हैं भाई जी !
बधाई !
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